भारतीय संविधान संशोधन – 2
* बियालिसवां संशोधन (1976)
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👉 इसे ‘लघु संविधान’ (Mini Constitution) की संज्ञा प्रदान की गई है।
👉 इसके द्वारा संविधान की प्रस्तावना में
‘धर्मनिरपेक्ष’, ‘समाजवादी’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए।
👉 इसके द्वारा अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों की व्यवस्था करते हुए नागरिकों के 10 मूल कर्त्तव्य निश्चित किए गए।
👉 लोकसभा तथा विधानसभाओं के कार्यकाल में एक वर्ष की वृद्धि की गई।
👉 नीति-निर्देशक तत्वों में कुछ नवीन तत्व जोड़े गए।
👉 इसके द्वारा शिक्षा, नाप-तौल, वन और जंगली जानवर तथा पक्षियों की रक्षा, ये विषय राज्य सूची से निकालकर समवर्ती सूची में रख दिए गए।
👉 यह व्यवस्था की गई कि अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत आपातकाल संपूर्ण देश में लागू किया जा सकता है या देश के किसी एक या कुछ भागों के लिए।
* चोवालिसवां संशोधन (1978)
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👉 संपत्ति के मूलाधिकार को समाप्त करके इसे विधिक अधिकार बना दिया गया।
👉 लोकसभा तथा राज्य विधानसभाओं की अवधि पुनः 5 वर्ष कर दी गई।
👉 राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष्ज्ञ के चुनाव विवादों की सुनवाई का अधिकार पुनः सर्वोच्च तथा उच्च न्यायालय को ही दे दिया गया।
👉 ‘व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार’ को शासन के द्वारा आपातकाल में भी स्थगित या सीमित नहीं किया जा सकता, आदि।
* बावनवां संशोधन (1985)
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👉 इस संशेधन द्वारा संविधान में दसवीं अनुसूची जोड़ी गई। इसके द्वारा राजनीतिक दल-बदल
पर कानूनी रोक लगाने की चेष्टा की गई है।
* पचपनवां संशोधन (1986)
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👉 अरुणाचल प्रदेश को भारतीय संघ के अन्तर्गत राज्य की दर्जा प्रदान किया गया।
* छप्पनवां संशोधन (1987)
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👉 इसमें गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा देने तथा ‘दमन व दीव’ को नया संघीय क्षेत्र बनाने की व्यवस्था है ।
* इकसठवां संशोधन (1989)
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👉 मताधिकार के लिए न्यूनतम आवश्यक आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई।
* पैंसठवां संशोधन (1990)
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👉 ‘अनुसूचित जाति तथा जनजाति आयोग’ के गठन की व्यवस्था की गई।
* उनहत्तरवां संशोधन (1991)
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👉 दिल्ली का नाम ‘ राष्ट्रीय राजधानी राज्य क्षेत्र दिल्ली ’ किया गया तथा इसके लिए 70 सदस्यीय विधानसभा तथा 7 सदस्यीय मंत्रिमंडल के गठन का प्रावधान किया गया।
* सत्तरवां संशोधन (1992)
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👉 दिल्ली तथा पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की विधान सभाओं के सदस्यों को राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में शामिल करने का प्रावधान किया गया।
* इकहत्तरवां संशोधन (1992)
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👉 तीन और भाषाओं कोंकणी , मणिपुरी और नेपाली को संविधान की आठवीं अनुसूची में सम्मिलित किया गया ।
* तेहत्तरवां संशोधन (1992)
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👉 संविधान में एक नया भाग 9 तथा एक नई अनुसूची ग्यारहवीं अनुसूची जोड़ी गई और पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
* चौहत्तरवां संशोधन (1993)
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👉 संविधान में एक नया भाग 9क और एक नई अनुसूची 12वीं अनुसूची जोड़कर शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
* इकरानवेवां संशोधन (2003)
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👉 इसमें दल-बदल विरोधी कानून में संशोधन किया गया।
* बानवेवां संशोधन (2003)
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👉 इसमें आठवीं अनुसूची में चार और भाषाओं-मैथिली, डोगरी, बोडो और संथाली को जोड़ा गया।
* तिरानवेवां संशोधन (2005)
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👉 इसमें एससी/एसटी व ओबीसी बच्चों के लिए गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखने का प्रावधान किया गया।
* सत्तानवेवां संशोधन (2011)
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👉 इसमें संविधान के भाग 9 में भाग 9ख जोड़ा गया और हर नागरिक को कोऑपरेटिव सोसाइटी के गठन का अधिकार दिया गया।
।।।।।।।।।।।।।।।।धन्यवाद।।।।।।।।।।।।।।।।
R. L.JAT
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